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The Kashmir Files movie review -vivek Agnihotri – द कश्मीर फाइल्स मूवी – कश्मीर की वो सच्चाई जो कभी भी दिखाई नहीं गई । The Kashmir Files movie trailer. मूवी रिव्यू: द कश्मीर फाइल्स
एक एक दृश्य सत्य है ।…नग्न सत्य है…एक एक मृत्यु सत्य…नग्न मृत्यु नाच …खोजेंगे तो हर नग्न नाच का संदर्भ मिलेगा…
पत्नी को पति का खूनी चावल खिलाना,
हिंदू बच्चों और हिंदू महिलाओं को आरी से आधा काटना,
मस्जिदों से अजान के बदले हिंदुओं को धमकाना,
हिंदू महिलाओं का सामूहिक बलात्कार करना,
हिंदुओं को सेब के बागों-घरों दुकानों से भागने के लिए मजबूर करना,
हिंदुओं को जिंदा जलाना, हिंदू बच्चों को तेजाब से भरे कंटेनर में डुबोकर मारना,
टीवी पर बेनजीर भुट्टो का आना और आतंकवादियों के समर्थन में टीवी पर खुलकर बोलना,
यासीन मलिक के द्वारा वायुसेना के 4 अधिकारियों को गोली मार देना,
हिंदू बुजुर्गों की आंखे फोड दी, हिन्दूओ को ढूंढ ढूंढ कर हाथ पैर काँट दीये।
उस समय की सरकार और सेक्युलर गैंग का खामोश तमाशा देखना, मानवतावादी संगठनो की नपुंसकता…
ये सब कोई काल्पनिक कहानी नहीं… फिल्मी पर्दे पर जगत को दिखाई गई एक नग्न सच्चाई है… यह कोई मसाला भरी पटकथा नहीं है… यह एक नग्न सच्चाई है… जिसके बारे में सभी को पता होना चाहिए…
The Kashmir Files review
किसी भी तरह से धर्म परिवर्तन करो या तो मरो, या कश्मीर को खाली करो ।
हम कश्मीर को पाकिस्तान बना देंगे…पंडितों के बिना लेकिन पंडिताईनो के साथ ।
जब कोई फिल्म खत्म हो जाए और दर्शक चले जाएं तब इसके बारे में बात करते हैं । जब कोई दु:खद फिल्म होती है तो आंखें नम हो जाती हैं..।
लेकिन कल जब फिल्म द कश्मीर फाइल्स आई तो दर्शक दंग रह गए और अवाक रह गए! जब कोई काल्पनिक हिंसा वाली फिल्म होती है और अंत आता है, तो दर्शक तुरंत उसके प्रभाव से बाहर आ जाते हैं।
लेकिन द कश्मीर फाइल्स से बाहर निकलने के बाद, सभी को एहसास हुआ कि उन्होंने क्या देखा! और शोषित इतिहास के दस्तावेज पर विश्वास किया। एक-एक दर्शकने सम्मान मे मौन रखा ।
और हाँ, 2:50 घंटे की यह फिल्म मे पलकें भी नहीं झपकी ! कभी-कभी तो सांसें भी एक दो पल के लिए रुक गई ।
कल रिलीज हुई फिल्म द कश्मीर फाइल्स, लाखों हिंदुओं, सिखों, दलितों (संक्षेप में, गैर-मुस्लिम) के नरसंहार के बारे में एक फिल्म है, जो कत्ले-आम – धर्म परिवर्तन गतिविधि के पहले कभी न खोले गए इतिहास का एक अध्याय है।
यह फिल्म इस बात की एक झलक देती है कि 1989-90 के दौरान नरसंहार कैसा था, जैसे भारत के लोगों के साथ कश्मीरी संस्कृति की आखिरी छड़ी, विशेष रूप से दुनिया के सर्वश्रेष्ठ बुद्धिजीवियों, शोधकर्ताओं, चिकित्सकों और दार्शनिकों, जो वर्षों से विदेशी आक्रमण से पीड़ित हैं। बोस्निया और हर्जेगोविना या फ़िलिस्तीन का इतिहास भारत में सर्वविदित है। इस फिल्म के लिए विवेक अग्निहोत्री ने काफी रिसर्च की है। दस्तावेजी साक्ष्य, साक्षात्कार का भी ठीक से उपयोग किया जाता है।
जिस जगह कश्मीरी पंडितों और गैर-मुसलमानों का नरसंहार हुआ था, उसे बटमज़ार कहा जाता था, जहाँ मारे गए पंडितों के नरसंहार के बाद जनेऊ का एक छोटा सा पहाड़ बन गया था, लेकिन उनका रोना उस समय के असंवेदनशील नेतृत्व का एक कलंकित उदाहरण था जब उन बिखरी हुई सरकारोने इसे नजरअंदाज कर दिया।
यह फिल्म उन बुद्धिजीवियों को भी बेनकाब करती है जो हमारे ही देश में आतंकवाद की दलाली कर रहे हैं। और चरम पर हो या न हो, सहिष्णु हिंदू लोगों को असहिष्णु करार दिया जाना चाहिए!
घातक क्रूरता और खून से लथपथ और गुन्गे नेतृत्व द्वारा दरकिनार किए गए इतिहास को बेनकाब करने का कृत्य किसी नफरत को फैलाने का प्रयास है या नहीं … ये तय करने की अनुमति है। इस फिल्म को रोकने की कोशिशे भी हमारे ही घर के ठगों द्वारा की गई पर नाकाम रहे । एक ऐसी फिल्म जिसे हर सच्चे भारतीय को देखनी चाहिए। द कश्मीर फाइल्स.
जिसके लिए फिल्म जरूर देखनी चाहिए…
जाओ इसे देखो …. जाओ इसे देखो …
द कश्मीर फाइल्स…
द कश्मीर फाइल्स…

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मूवी रिव्यू: द कश्मीर फाइल्स